Tuesday, December 13, 2011

जागा रे जागा सारा संसार


जागा रे जागा रे जागा सारा संसार 
फूटी किरण लाल है खुलता है पूरब का द्वार
जागा रे जागा रे जागा सारा संसार 

अंगड़ाई लेती ये धरती उठी है
सदियों की ठुकराई मिट्टी उठी है
टूटे हो टूटे गुलामी के बंधन हजार
जागा रे जागा रे जागा सारा संसार 

आया ज़माना हो अपना ज़माना
किस्मत का ये रोना-गाना पुराना
बदलेंगे हम अपने जीवन की नदिया की धार
जागा रे जागा रे जागा सारा संसार 

हर भूखा कहता है यूँ ना मरूँगा 
मैं जाके मालिक को नंगा करूँगा
ढा दूंगा दुखियारी लाशों पे उट्ठी दीवार
जागा रे जागा रे जागा सारा संसार 

-इप्टा

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