Sunday, January 1, 2012

बड़ी-बड़ी कोठिया सजाये पूंजीपतिया

बड़ी-बड़ी कोठिया सजाये पूंजीपतिया
की दुखिया के रोटिया चोराए-चोराए
अपने महलिया में करे उजियरवा
की बिजोरी के रडवा जराए–जराए

कत्तो बने भिटवा कतहुं बने गडही
कत्तो बने महल कतहुं बने मडई
मटिया के दियना तूही त बुझवाया
की सोनवा के बनवा डोलाए-डोलाए
बड़ी–बड़ी कोठिया...

मिलिया में खून जरे खेत में पसीनवां 
तबहुं न मिलिहें पेट भर दनवां
अपनी गोदमिया तूही त भरवाया
की बड़े बड़े बोरवा सियाए-सियाए
बड़ी–बड़ी कोठिया...

राम अउर रहीम के ताखे पे धइके लाला
खोई के ईमनवा बटोरे धन काला
देसवा कs हमरे तू लूट के खाया
कई गुना दमवा बढा-बढा
बड़ी-बड़ी कोठिया...

जेतs करे काम छोट कहवावे
ऊ बा बड मनई जे जतन बतावे
दस के ससनवा नब्बे पे करवावे
इहे परिपाटिया चला-चला
बड़ी-बड़ी कोठिया...

जुड होई छतिया तनिक दऊ बरसा
अब त महलिया में खुलिहें मदरसा
दुखिया का लरिका पढ़े बदे जइहें
छोट बड टोलिया बना-बना
बड़ी-बड़ी कोठिया...

बिनु काटे भिटवा गडहिया न पटिहें
अपने खुशी से धन धरती न बटिहें
जनता कs तलवा तिजोरिया पे लागिहें
कि महल में बजना बजाए-बजा
बड़ी-बड़ी कोठिया...
-जमुई खां आज़ाद

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